प्यारे दोस्तो ! सबसे पहले तो आप सबको मेरा नमस्कार ! कैसे हो आप? उम्मीद करती हूँ कि इस भागमभाग भरी जिंदगी में आप अपनी नियत दिनचर्या में व्यस्त होकर भी एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे होगे | पर्वो का मौसम शुरू हो गया है .ऐसे में आप सभी इसकी तैयारी में अभी से जुट गए होगे | वैसे तो सभी पर्व अपने आप में महत्वपूर्ण और खास है और इसको मनाने के पीछे कुछ न कुछ इससे किंवदंतियाँ भी जुड़ी हुई है | अगर हम बात करे तो सबसे मुख्य पर्वो में तो दशहरा, दीवाली तथा होली का नाम सबसे पहले आता है ,और इन सबमें ज्यादा रौशनी का प्रतीक वाला पर्व दीवाली है | अगर हम बात करे दीवाली के महात्मय की तो आप पाएँगे कि यह पर्व अपने आप में सबसे अनूठा पर्व है ,जाहिर है कि अब आपके मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे होगे और आप भी काफी उत्सुक होगे यह जानने के लिए कि आखिर दीवाली क्या होता है ?तथा इसको क्यूँ और कब मनाया जाता है तथा इससे संबंधित अन्य कई रोचक तथ्य . तो मैं आपके इन्हीं सवालो का जवाब इस आर्टिकल के माध्यम से देने जा रही हूँ तो आइए जानें कि दीवाली क्या होता है और इसे कब और क्यूँ मनाया जाता है...............
दीपावली अर्थात् दिवाली सबसे बड़े त्योहारो
में से एक है | यह पाँच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है | इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है |कई दिनो पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियाँ शुरू हो जाती है |
दीवाली क्या है ?
यूँ तो दीवाली को कुछ लोग दीपावली भी कहते है | दीपावली शब्द की उत्पति संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात् दिया व 'आवली अर्थात् लाइन या श्रृंखला के मिश्रण से हुई है | यहाँ यह जान लेना अति आवश्यक है कि दीपावली शब्द का प्रयोग भी गलत है क्योकि सही शब्द दीवाली है | "दीवाली " का तो इससे भिन्न अर्थ है | अगर इसे परिभाषित किया जाए तो हम कह सकते है कि " जिस पट्टे/पट्टी को किसी यंत्र से खींचकर खरान सान आदि चलाये जाते है उसे दीवाली कहते है | इसका स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दीपाली-' दीपाली-दीपालि भी |
दीपावली का अपभ्रंश अर्थात् बिगड़ा हुआ रूप 'दीवाली ' है दिवाली नही | परंतु विशुद्ध एवं उपर्युक्त शब्द दीपावली है | दीपावली जिसे दिवाली भी कहते है | इसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है ,जैसे :- दीपावली (उड़िया ),दीपाबॉली (बंगाली ), दीपावली (असमी, कन्नड़,मलयालम ) ,गुजराती (६िवाजी ), हिन्दी (दिवाली ), मराठी:-दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी.
दीपावली क्यों, कब और कैसे मनाई जाती है ?
दीपावली "दीपों का पर्व " है | इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे | इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियो ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था | उसी समय से दीपों के त्योंहार दीपावली मनाया जाने लगा |
यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है | अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है | यह त्योंहार किसी धर्म विशेष के लिए नही है | इसे सभी धर्म के लोग प्रेम व सौह्रार्द के साथ मनाते है | इस त्योहार के आगमन के पूर्व से ही घरो की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई और सजावट प्रारंभ हो जाती है | इस दिन पहनने के लिए नए कपड़े भी बनवाएँ जाते है एवं कई प्रकार के मेवे व मिष्ठान भी बनाई जाती है | पूर्वजो का मानना है कि घरो की साफ-सफाई एवं रंग-ऱोगन करके दरिद्र को भगाया जाता है | सजावट करके माँ लक्ष्मी के आगमन की तैयारी बड़े उत्साह के साथ की जाती है और रात में माँ लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है |
यह त्योहार पाँच दिनों तक मनाया जाता है | धनतेरस से भाईदूज तक यह त्योहार चलता है | धनतेरस के दिन व्यापारी अपने नए बहीखाते बनाते है | अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान अच्छा माना जाता है | अमावस्या यानी कि दिवाली का मुख्य दिन, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है | खीर-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है | नए कपड़े पहने जाते है | बच्चों द्वारा फूलझड़ी व पटाखे छोड़े जाते है , दुकानों ,बाजारों और घरों की सजावट भी दर्शनीय होती है | अगले दिन एक -दूसरे से गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएँ दी जाती है | इसे आप मिलन -दिवस या भेंट दिवस की संज्ञा दे सकते है | इस दिन लोग छोटे -बड़े , अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योंहार मनाते है |
दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है | नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है | कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते है, जो घर व समाज के लिए बड़े शर्म की बात है | हमें इस बुराई से बचना चाहिए | हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दु:ख न पहुँचे , तभी दीपावली अर्थात् दीवाली का त्योंहार मनाना सही मायने में सार्थक होगा |
आध्यात्मिक मान्यता एवं महता
दीपावली अर्थात् दीवाली को विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं, कहानियों एवं मिथको को चिन्हित करने के लिए हिंदु, जैन और सिखों द्वारा मनाई जाती है ,लेकिन वे सब बुराई पर अच्छाई,अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय को दर्शाता है |
दिवाली का एक इतिहास रामायण की गाथा से भी जुड़ा हुआ है | ऐसा माना जाता है कि श्री रामचंद्र जी ने माता सीता को रावण की कैद से छुड़वाया था तथा फिर माता सीता की अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे, जिसके उपलक्ष्य में अयोध्यावासियों ने दीप जलाया था | तभी से दीपावली का त्योहार मनाया जाता है | लेकिन आपको यह जानकर बेहद ही आश्चर्य होगा कि अयोध्या में केवल 2 वर्ष ही दीवाली मनायी गई थी | इस प्रकार दिवाली का सभी पर्वो में अपना एक अलग स्थान है और इस पवित्र प्रथा को आप और हम सभी बखूबी निभाते आ रहे है |और उम्मीद करती हूँ कि आने वाली पीढ़ी भी इस बात का मान रखेगी |
अंतिम शब्द (Last word)
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